11-9-2017 – मेरा नाम दतीराम ग्राम-देवलीबगड़, पोस्ट ऑफिस – धुरा, तहसील-धनौली, जिला -अल्मोड़ा का वासी हूँ। गाँव अधिकतर स्वास्थ्य की समस्या से पीड़ित है। गांव से डेढ़ किलोमीटर दूरी पर यातायात की सुविधा उपलब्ध है। अगर कोई बीमारी से पीड़ित होता है तो उसको वहां तक डोली से ले जाना पड़ता है। जल्द गांव तक सड़क हो जाएगी। अगर शिक्षा की बात करें तो हाईस्कूल कुंदला देवलीबगड़ में है वहां पर टीचर की आवश्यकता है जिसमे दो टीचर अभी भी नहीं आ रहे हैं।
गाँव में एएनएम केंद्र (स्वास्थ्य) होने की लंबे समय से चेष्टा
11-9-2017 – मेरा नाम चन्द्र सिंह मेहरा है, मैं ग्राम -बुसैल, पोस्ट आफिस-नेचुना बुसैल, जिला-पिथौरागढ़ उत्तराखंड का निवासी हूँ। वे अपने गाँव में ANM केंद्र स्थापित करने में हुई परेशानी और विभाग की अनदेखी की बात कर रहे हैं। पूरी जानकारी के लिए सुनें
संपर्क मार्ग और जल मार्ग (नहर) का महत्व और अंतरसंबंध
11-9-2017 – मेरा नाम राजेंद्र प्रसाद है, मैं ग्राम पंचायत-बुसैल, तहसील-गंगोलीहाट, जिला पिथौरागढ़ का वासी हूँ। मेरे गाँव की जनसंख्या 400 है। यहाँ का मुख्य व्यवसाय खेती है, गेंहूँ, धान, जौ,मटर, उड़द, बाजरा, मूंग आदि की फसल साल में दो बार होती है। पहले खेतों की सिचाईं नहर से होती थी पर अब बारिश पर निर्भर है। गाँव के लोंगो को राशन मिलता है। गाँव में स्वास्थ सम्बंधित समस्या है जैसे :- गाँव में कोई बीमार पड़ जाये या प्रसव के दौरान महिला को डोली में बैठाकर पहाड़ियों के रास्ते पैदल चलकर अल्मोड़ा या पिथौरागढ़ ले जाना पड़ता है। कभी-कभी तो रास्ते में ही प्रसव हो जाता है। इसलिए रोड होना बहुत जरुरी है। सरयू नदी की घाटी से पीने का पानी और सिचाईं करने के लिए कैनाल से पानी आता था पर गाडी की रोड आने से नहर धवस्त हो चुकी है जिसके कारण कई फलदार पेड़ भी बह गए हैं
खेती में नुकसान की भरपाई
11-9-2017 – नरेन्द्र कुमार ग्राम – बुसैल पोस्ट- नेचुना, जिला-पिथौरागढ़ उत्तराखंड का रहने वाला हूँ। हाई स्कूल गाँव में है। आगे की पढाई करने के लिए 10-12 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। यहाँ से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र आधा किलोमीटर दूर स्थित है। यहाँ के लोग गेहूं,धान, मक्का की खेती करते है पर सूअर, पक्षी और लंगूर फसलों को बर्बाद कर देते हैं। उसका मुआवजा भी नहीं मिलता है। इस सम्बन्ध में न ही कोई अधिकारी जाँच करने आते हैं। हमारी एक राय है कि अगर पंचेश्वर बांध बनता है तो उसका मुआवजा पूरा मिले
आपदा से विस्थापित फिर वहीं बसाये गए, भावी परियोजना से इस संधर्भ में चिंतित
मैं महेशचन्द्र ग्राम-गोरीछाल तोली, तहसील -धारचूला, जिला-पिथौरागढ़ का रहने वाला हूँ. मैं पंचेश्वर डैम के विषय में यह कहना चाहता हूँ कि 2013 की आपदा में हमारे गाँव की 213 नाली ज़मीन गोरी नदी में समा गई थी। जिसमें 15 परिवार बेघर हो गए थे। उत्तराखंड सरकार ने नाम-मात्र मुआवजा देकर उन आपदा प्रभावित लोगों को फिर से उसी नदी के किनारे बसा दिया। अब जो पंचेश्वर डैम बनने जा रहा है उससे ज्यादा लोग डरे हुए है और हम लोगों को पंचेश्वर डैम से पूरा खतरा है। अभी तक हमारी भारत सरकार ने कोई सुध नही ली है। ना हमारे गाँव में डैम संबधित कोई कर्मचारी आये है. महोदय, भारत सरकार से यही निवेदन है पंचेश्वर डैम की सर्वे दोबारा करवाई जाये तथा प्रभावित गाँव के लोंगों को उचित मुआवजे के साथ सुरक्षित जगहों पर बसाया जाए
स्थानीय लोकगीत और सामूहिक नृत्य के बारे
मेरा नाम राजेंद्र प्रसाद है। मैं ग्राम -बुसैल, पोस्ट-ऑफिस -नेचुना, तहसील-गंगोलीहाट, जिला-पिथौरागढ़ उत्तराखंड का वासी हूँ। यहां मकर संक्रान्ति का त्यौहार सरयू घाटी में स्थित पंचेश्वर स्थान का खूब महत्त्व है जहाँ बहुत संख्या में लोग आते हैं। श्रावण / सावन के महीने में शिव पूजा का महत्त्व है। इन दिनों दस दिन तक लोग स्थानीय लोकगीत एवं सामुहिक नृत्य चांचरी गाते और नाचते भी हैं। कुमाउनी भाषा में गीत इस प्रकार है –
चांदी बटना दाज्यू कुर्ती कालर मा
मेरि मधुली जैरै ब्यूटी पार्लर मा ।।
यातू खानी खीरा
धाग हुनौ तोडि दिनू त्यार मुख तीर ।।
चांदी बटना दाज्यू कुर्ती कालर मा
मेरि मधुली जैरै ब्यूटी पार्लर मा ।।
संगत करनी भले भले की ,सुख मिले शरीरा
बैठना भला सुमिरन में, मरनी जमुना तीर ।।