भावी परियोजना क्या अभी की तुलना बसावट और सुविधा देगी
कैलाश चंद जोशी ग्राम -कुनगड़ा, ग्रामपंचायत-धुरा, तहसील-भनौली, जिला-अल्मोड़ा की सरयू घाटी से बता रहे हैं कि उनकी 15 नाली जमीन है, 10 कमरे का मकान है, सिंचाई का टैंक है, लैट्रिन बाथरूम है; 7 आम के पेड़ हैं, खेतों में धान की फसल है। गाँव में स्कूल, बिजली और पानी की सुविधा भी है। उनका कहना है कि इतनी सुविधाओं को क्या नई जगह पर बनाया जा सकेगा, क्या बाँध से विस्थापन यह सब देगा या नहीं। अगर नहीं तो बांध भी नहीं बनना चाहिए।
भावी परियोजना की जन सामान्य तक जानकारी का अभाव
मै बच्ची वर्मा ग्राम-पव्वाधार, तहसील-गंगोलीहाट, जिला-पिथौरागढ़ से हूँ। हमारे पूर्वज यहाँ के मूल निवासी हैं और हमारे बाप दादा यहाँ रहते आए हैं। पंचेश्वर बाँध डूब क्षेत्र के बारे में कोई जानकारी देने आया ही नहीं, बहुत सा क्षेत्र छूटा हुआ है, नाम नहीं हैं। हमें इसके बारे में कोई अता पता नहीं है, कोई जानकारियां नहीं दी गई हैं। कोई अधिकारी हमारे गाँव में सर्वे करने के लिए कोई आधिकारी नहीं आए। सर्वे लिस्ट में बहुत क्षेत्रों का नाम नहीं है। हमारी जानकारी में सर्वे करने के लिए कोई अधिकारी नहीं आया। हमारे यहाँ समस्यायों की सुनवाई करने के लिए कोई आधिकारी नहीं आए, हम क्या करें ? हम आन्दोलन के लिए मजबूर हो जायेंगे और इन्हीं बातों से विरोध करते हैं।
महिलाओं की जन सुनवाई में बात
Women Speak at the Public Hearing, Pitthoragarh
भावी परियोजना से भविष्य की चिंता क्योंकि विस्थापन पता नहीं कैसा हो
मैं नंदा बल्लभ ग्राम कुनगड़ा, तहसील-भनौली ,जिला-अल्मोड़ा उत्तराखंड से बोल रहा हूँ। हमारे गाँव की जनसँख्या 1000 के करीब है। हमारी इस घाटी में खेती बहुत अच्छी होती है। यहाँ पर तालाब, नदी-नाले, नहर और पानी आदि की सुविधा बहुत अच्छी है। सिंचित खेत, बाग़ बगीचे, फलदार वृक्ष, आदि यहां खूब है। यहाँ भू-स्खलन बहुत कम होता है। हमारा गाँव देखने में हल्द्वानी जैसा है। यहाँ पिछले साल शारदा घाटी में आपदा आई थी जिससे पाइप लाइन खराब होने-से पेयजल की थोड़ी-सी समस्या हुई है। मैं पंचेश्वर डैम बनने के पक्ष में नही हूँ क्योंकि हम कई पुश्तों से रह रहे हैं और अपना मकान, बाग़-बागीचा, सुविधाएं आदि ढंग से रहने के लिए हमने बना रखा है। पंचेश्वर डैम बनने से हमको यहाँ से उठाया जा रहा है। जो सुविधाएं हमने यहां बनाई हैं या हमें मिल रही हैं, क्या पता नई जगह पर मिलेगी या नहीं। हमारा यही मानना है कि यदि सरकार बांध बनाना ही चाहती है, हमें डुबाया न जाए और अगर सरकार हमें यहाँ से विस्थापित करना चाहती है तो यह सभी सुविधाएं वहां पर भी होनी चाहिए क्योंकि हमारा बसा बसाया परिवार है। अगर संयुक्त रूप से बसाया जाए तो बहुत अच्छा होगा
सम्पन्न गाँव भावी परियोजना से उजड़ जाएँगे, पहले बसावट फिर विस्थापन
11-9-2017 – मैं बच्ची सिंह बिष्ट गाँव – देवलीबगड़, तहसील-भनौली, जिला-अल्मोड़ा उत्तराखंड से बोल रहा हूँ। यह पंचेश्वर महाकाली बाँध से पूर्ण रूप से डूब क्षेत्र में आने वाला गाँव है। यह गांव मूलभूत सुविधाओं जैसे स्वास्थ्य और सड़क से नहीं जुड़ा है, जो एक मुख्य समस्या है। इस गांव के चारों तरफ धान की खेती हो रही है। इनका कहना है कि-पंचेश्वर महाकाली बांध बनने पर इन लोगों को जबरजस्ती यहां से उठाया जा रहा है। लोग यहां से जाना नहीं चाहते क्योंकि इनके पास समृद्धि खेती, पशु-पालन, जंगल, पानी, और नदी है जिससे इनके सभी खेत सिंचित हैं।अभी यहां के लोगों से बात कर रहे है – वो अपनी समस्याएं को अलग -अलग तरीके से रख रहे हैं। लोग चाहते हैं कि भारत सरकार इनकी बात को सुने और पंचेश्वर बांध से इनको न डुबाया जाए। अगर विस्थापित होना है तो बाँध बनने से पहले इन विस्थापितों के लिए व्यवस्था होनी चाहिए।
समस्याओं से जूझते हुए रह रहे हैं पर खुश हैं, भावी परियोजना से क्या होगा
11-9-2017 – मैं गोपाल जोशी ग्राम – कुनगडा, जिला अल्मोड़ा उतराखण्ड का रहने वाला हूँ। हमारी पहली समस्या स्वास्थ से संबंधित है जैसे हास्पिटल का न होना। सड़क और पेयजल की समस्या भो बानी हुई है। हम सरयू नदी के किनारे बसे हैं, इस घाटी के किनारे पर होने के कारण हम पूरी तरह समस्याओं से घिरे हुए हैं पर फिर भी हम गुज़र बसर कर रहे हैं और खुश हैं। हमें बांध नही विकास चाहिए जो इस क्षेत्र से अछूता रहा है।