मेरा नाम मलिक सिंह बिष्ट है। मैं ग्राम सेरागढ़ा, P.O नेचुना बुशैल, तहसील – गंगोलीहाट (जिला पिथौरागढ़) से बोल रहा हूँ। सरयू घाटी के इस क्षेत्र में सैकड़ो वर्ष से हमारे पूर्वजों ने निवास किया और अब हम यहां निवास कर रहे हैं। यहाँ की लगभग आबादी 300 है। यहां का मुख्य व्यवसाय कृषि है जिससे समुदाय अपना जीवन यापन कर रहे हैं। महाकाली परियोजना के डूब क्षेत्र में लगभग 10 से 15 गांव आ रहे हैं जिसके चलते पर्यावरण, आर्थिक समस्यायों से जुझना पड़ेगा। अभी तक सरकार कोई योजना गांव में नहीं पहुंचा पा रही है। अभी तक कोई-भी जनप्रतिनिधि नहीं आये हैं। अभी तक कोई सर्वेक्षण भी नहीं हुई है। कितनी भूमि डूब क्षेत्र में आ रही है और कितनी आबादी डूब रही है ? कितना क्षेत्र भविष्य में खतरे की जद में आयेगा ? इस के बारे में ऊपरी-ऊपरी बातें हो रहीं हैं, कोई सर्वेक्षण हमने नहीं देखा। बिना किसी जानकारी के लोगों में यह भय हो रहा है कि किसका खेत डूबेगा – क्या ज़्यादा क्षेत्र डूबेगा, आप लोगों को विस्थापित होना पडेगा ? हम लोगों को कहाँ विस्थापित किया जाएगा ? कहाँ भटकेंगे ? कहाँ जायेंगे ? पंचेश्वर बांध बनने से हमें कोई समस्या नहीं पर इस संबंध में पहले जनता से राय ली जाय, उसके बाद उनकी सभी समस्याओ का निराकरण किया जाय। इसके बाद पंचेश्वर बांध परियोजना को चालू किया जाए।
स्थानीय नियोजन और सुविधाओं पर विचार हो
मेरा नाम रोशन सिंह है। मैं ग्राम रौतेला, पोस्ट-चौरपाल, तहसील-गंगोलीहाट, जिला-पिथौरागढ़ से हूँ। रोशन जी के साथ उनके साथी गोविन्द सिंह, अमित सिंह, रवेन्द्र सिंह, विजय सिंह हैं। इन सबका कहना है कि इन्टर से लेकर कालेज तक की पढाई करने 5 किलोमीटर दूर चौरपाल पहाड़ी तक पैदल चलकर जाना पड़ता है। गांव में पेयजल और शिक्षा की बहुत समस्या है। अस्पताल गाँव से 12-13 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। यह सब इन सभी मूलभूत सुविधाओं की सेवा आसानी से ले पाएं, उसका नियोजन चाहते हैं और निवेदन करते हैं।
बुसेल का स्थानीय विकास (संपर्क और आंगनवाड़ी) बरसों से अटका
मेरा नाम चन्द्र सिंह मेहरा है। मेरा गांव बुसैल जिला पिथौरागढ़ की गंगोलीहाट तहसील में स्थित है। चंद्र सिंह जी दो प्रमुख समस्याओं पर ध्यान आकर्षित कर रहे हैं; हमारे गाँव में पैदल आना पड़ता है। पव्वाधार-सेराघाट-बुसैल नाम से सड़क मंजूर है परन्तु इसमें बजट न होने की बात कह करके नेता अपना पल्ला झाड़ लेते हैं इसलिए यह चाहते हैं कि इसमें सरकार की ओर से पैसा दिया जाए ताकि इस सड़क का निर्माण हो सके। ग्राम सभा बुसैल में 1985 से एक आंगनबाड़ी केंद्र है जिसका भवन अभी तक नही बन पाया है। उसका भवन बनना चाहिए ताकि छोटे बच्चों के बैठने की सुबिधा हो सके।
रेतोला के बुजुर्ग भावी पीढ़ी को लेकर चिंतित
मेरा नाम प्रेम सिंह बिष्ट है। मैं गंगोलीहाट तहसील के ग्राम-रैतोला जो जिला-पिथौरागढ़ का रहने वाला हूँ। 70 साल से रैतोला का विकास नहीं हुआ है। मैं अपने आप पर निर्भर हूँ और भावी पीढ़ी के लिए चिंतित हूँ कि वे क्या करेंगे। हमारी भूमि क्षतिग्रस्त है। डाक्टर नज़दीक उपलब्ध न रहने से बहुत समस्या है और शिक्षा व्यवस्था के नाम पर गाँव में एक प्राथमिक स्कूल है। हमारे यहाँ कोई अधिकारी नही आता है। पर अधिकारीयों ने प्रस्ताव दिया कि आप क्या चाहते है ? अगर बांध बनता है तो आप विरोध करते हो या नहीं।
भावी परियोजना की अधूरी जानकारी से चिंता
श्रीवास कोल ग्राम-पंचायत – रैतोला, पोस्ट ऑफिस – चौरपाल, तहसील – गंगोलीहाट, जिला-पिथौरागढ़ उत्तराखण्ड से बोल रहे हैं। वह बता रहे हैं कि उनके गांव की जनसँख्या 500 के करीब है और यह गांव सरयू घाटी में, गंगोलीहाट कस्बे से 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ग्राम पंचायत में एक प्राथमिक स्कूल है। बीमार व्यक्ति को पहले डोली में बैठाकर फिर सड़क से अस्पताल पहुँचाना पड़ता है जो 20-22 किलोमीटर दूर गंगोलीहाट में है। यहाँ रोड और अस्पताल की समस्या है। यह घाटी काफी उपजाऊ है – यहाँ गेहूँ, धान, मड़वा, बाजरा आदि फसलों की खेती होती है। फलों में आम, अमरुद, कटहल और केला मुख्य हैं और सब्जियों में आलू, गोभी, बैगन और भिंडी थोड़ा-थोड़ा सब खेतों में पैदा होती है। पंचेश्वर बाँध बनने से यहाँ के लोंगों को बहुत समस्या होगी। इस परियोजना से विस्थापित लोगों को कहाँ बसाया जायेगा, इसका कुछ पता नहीं – इसके बारे में लोंगो को कोई-भी जानकारी नही है।
भावी परियोजना से अपने सम्पन्न गाँव को नहीं खोना चाहते
सरयू घाटी के पास ग्रामसभा जिंगल से भगवान सिंह बता रहे हैं कि इनका गांव पंचेश्वर बांध से प्रभावित हो रहा है। हम यहाँ बाप दादाओं के ज़माने रहे हैं। हमारे गांव की 500 से ज्यादा आबादी है। यहां मुख्य समस्या सड़क की है जिससे बीमार व्यक्ति को डोली में बैठाकर पैदल 8 से 15 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। हम ये चाहते है कि – यहां से हमें विस्थापित न किया जाय। अपनी मेहनत से खेती से सब कुछ उत्पादन कर अपना भरण – पोषण करते हैं। पंचेश्वर बांध के डूब क्षेत्र में आने से सरकार विस्थापित कर हमें मुसीबत में न बसाये। इसलिए हम पंचेश्वर बांध का पूरा विरोध करते हैं। ये बांध नहीं चाहिए।