माइक्रो प्लानिंग की एक मीटिंग के दौरान समुदायों के साथ बातचीत का सारांश जो स्थानीय निर्णयों की बात कर रहा है.
ग्रामपंचायत दूबड़ कमलेख में संभावित नियोजन सम्बंधित जानकारियों का आदान प्रदान हो रहा है, जैसे आजीविका और कृषि – उनसे जुडी योजनाएं आदि. पीताम्बर की लोगों को बता रहे हैं की आपसी समन्वय ज़रूरी है वह चाहे विभाग-संस्था या समुदाय का हो. मुख्यतः उन्होंने बताया की क्या समुदाय चाहता है उसपर पहले विचार करना चाहिए तो ही वह नियोजन आगे बढ़ेगा – उन्होंने कई संभावनाओं के बारे में भी बताया। उन्होंने बताया की हो तो बहुत सकता है पर समुदाय के सुझाव बहुत ज़रूरी हैं ताकि इस क्षेत्र में कृषि आय बढे, बेरोज़गारी कम हो और पानी का संचय हो जो कृषि में सहायक हो
प्रमोद
मै प्रमोद ग्राम टाकवलवाड़ी, पोस्ट-ऑफिस धूनाघाट, तहसील पाटी, जिला चंपावत, उत्तराखंड से बोल रहा हूँ। हमारे गाँव मे पहले पानी और कृषि की समस्या है। जंगली जानवर भी फसल को नष्ट कर देते है। इस इलाके मे खेतों में सिचाई करने के लिए पानी के टैंकर की व्यवस्था होनी चाहिए। वर्तमान मे राबी और खरीफ की फसल लगाते है, उससे औसतन कुछ ही महीने के खाने के लिए पैदा हो पाता है। कभी-कभी तो जितने का बीज डालते है उतना भी नही हो पाता है। फसल की बीज सरकारी दुकान या प्राईवेट दुकान से खरीदते है। हमारे ग्राम सभा मे अस्पताल, सड़क जैसी सुविधाएं और बेरोजगारी की समस्या होने की वजह से पलायन हो रहा है जिसका मुख्य कारण गरीबी है।
देवकीनन्दन भट्ट
देवकीनन्दन भट्ट, ग्राम सभा टाकवल्वाडी, विकास खंड धूनाघाट, तहसील पाटी, जिला चम्पावत (उत्तराखंड) के निवासी हैं. अपने गाँव के बारे मे बता रहे है कि पूर्वजों से लेकर हमारी पीढ़ी भी कृषि करते आ रहे है लेकिन अब समय पर वर्षा नही होने की वजह से यहाँ के लोग कृषि नही करते हैI दूसरा, यहाँ के लोग जानवर बहुत कम पालते है। पहले गाँव में 150 परिवार रहते थे परन्तु अब कुछ लोग पलायन कर गए है और अब मात्र 40 परिवार बचे है I गांव में 18 से 20 साल के ऊपर का कोई युवा नही मिलेगा क्योकि सब पलायन कर गए है। आजीविका का यहाँ कोई साधन नही हैI हम लोग जो फसल लगाते है, उसको जंगली जानवर नष्ट कर देते हैI खेतों मे गेहूँ, जौ और सरसों की फसल लगाते है। खरीफ की फसल में मिर्ची, हल्दी, पुलम, मडुआ, सोयाबीन आदि लगाते है जिसकी पहले करीब 60% पैदावार होती थी लेकिन अब जानवरों के आतंक की वजह से 5 से 10% ही फसल की उपज हो पाती है। हम लोंगो ने अपने जानवर भी बेच दिए क्योकि उनको खिलाने के लिए चारा (घास) नही हैI यहाँ पर जंगली जानवरों में बंदर (लाल और काला), सुअर, बराह आदि है जो की फसल के उगते ही उसको खा लेते हैI खेत में जानवर के आतंक को रोकने के लिए पूरे ग्राम में तार-बाड़ किया जाना चाहिए। सुरक्षा के लिए एक चौकीदार को नियुक्त किया जाना चाहिए। ग्राम सभा सकदेना और टाक बल्बाड़ी में पानी का स्रोत है। वहां से सरकारी स्कीम से पानी का स्त्रोत उपलब्ध कराया जाएI अगर ये उपाए किये गए फसल की अच्छी उपज होगी, वर्ना पलायन को रोकने का कोई और उपाय नही हैI
2006 की आपदा से हुई क्षति की क्षतिपूर्ति अभी तक नहीं हुई
मेरा नाम देवीदत्त उपाध्याय है, मैं ग्राम-प्रधान, जिप्ती, तहसील-धारचूला, जिला-पिथौरागढ़ (उत्तराखंड) से हूँ। ग्राम पंचायत में आपदा आने से जन-धन की हानि हो सकती है। ग्राम प्रधान ने कई बार आपदा और डूब क्षेत्र से प्रभावित लोंगों के बारें में शासन को पत्राचार भेजा लेकिन आज तक प्रशासन द्वारा कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई। इसका मतलब प्रशासन कुछ लिपा-पोथी कर रहा है। इससे जनता को भ्रम हो गया है। प्रशासन से हम गुजारिश करते है कि आपदा से प्रभावित 76 परिवारों को मुआवज़ा दिलाया जाए। जिससे वो अपने जान-माल कि सुरक्षा अपने आप स्वयं कर सके।
आपदा से क्षति और पलायन
जिप्ती के ग्राम प्रधान देवीदत्त उपाध्याय (तहसील-धारचूला, जिला-पिथौरागढ़) अपने क्षेत्र की समस्याओं को सांझा कर रहे हैं। इनके गाँव में कुल 76 परिवार हैं। 2006 में गाँव के ऊपरी भाग से भूस्खलन हुआ था। इनकी यही मांग है कि उन परिवारों को क्षतिग्रस्त स्थान से विस्थापन किया जाय। सरकार ने अपने भू-वैज्ञानिकों को सर्वे करने के लिए भेजा था। उन्होंने जिप्ती के विस्थापन को आवश्यक बताया था लेकिन अभी तक विस्थापन नही हआ हैं। हमने 2013 की आपदा में भी हमने जो मांग रखी थी लेकिन सरकार ने अभी तक हमारी कोई-भी मांग पूरी नहीं की है। स्कूल में जो भी टीचर जाते है वो बच्चों को सही से नहीं पढ़ाते है जिससे पलायन और ज्यादा बढ़ गया हैं। हमारा गाँव भी पलायन की कगार पर है। कई जगह पलायन की मांग करने के बाद – सरकार द्वारा साइट ट्रीटमेंट के लिए प्रोग्राम चलाया गया लेकिन यहाँ पर ट्रीटमेंट का कोई-भी पैकेज नहीं आया और हमारे विस्थापन को लेकर अभी तक कोई कार्यवाही नही हुई
बार्डर के गाँव में मूलभूत सुविधाएं न के बराबर
मेरा नाम माया देवी ग्राम -थपलियालखेड़ा, ग्रामसभा-सैलानिगोथ, तहसील – पूर्णागिरी, जिला पंचायत-चम्पावत से बोल रही हूँ। ग्राम पंचायत सैलानिगोथ से जुड़ा हुआ एक तोक है। मैं अपने गाँव के समस्याओं के बारे में बताना चाहती हूँ। मेरे गाँव में विजली,रोड और स्वास्थ्य जैसे कुछ भी सुबिधाऐ नही हैं। यहाँ से मरीजों को इलाज कराने और समान लाने और ले जाने में बहुत-सी समस्याएँ होती है। हमारे क्षेत्र के विधायक जी ने बिजली, स्वास्थ्य और पानी दिलाने का आश्वासन दिये थे। अब 2018 भी आने वाला है लेकिन अभी तक कोई सुबिधायें नही हुई हैं।