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सेनेटरी नैपकिन यूनिट

जब सेनेट्री पैड्स नहीं बने थे तब महिलाओं को पीरियड्स के दौरान होने वाले रक्तस्राव को रोकने के लिए लकड़ी, रेत, काई, और घास जैसी चीजों का इस्तेमाल करना पड़ता था, वह समय कितना दर्दनाक था. आज भी गांवों और छोटे शहरों में ऐसे बहुत से घर हैं जहां महिलाएं सेनेट्री पैड्स का इस्तेमाल नहीं करतीं ऐसे में बहुत सी महिलाएं सूती कपड़े को फाड़ कर पीरियड्स में इस्तेमाल करती हैं जिनके गीले होने पर वे उसे धोकर फिर से इस्तेमाल में लाने के लिए रख लेती है हैं या फेंक देती हैं, जो बिल्कुल आरामदायक नहीं होता.

भारत में ऐसी बहुत सी जगहें है जहां पैड का प्रचलन नहीं है. आदिवासी इलाकों में तो बिल्कुल भी नहीं इसकी एक वजह यह भी है, कि भारत में पीरियड्स पर खुल कर कभी बात ही नहीं होती. पिछड़े इलाकों में तो आज भी जब महिला को पीरियड्स आता है तो उसे सप्ताह भर तक अशुद्ध समझा जाता है, इतने दिन वो अपने ही घर में अछूत जैसा रहती है, उन्हें पानी भी छूने नहीं दिया जाता है, सोने के लिए जमीन पर चटाई बिछाई जाती है और कोई उस रास्ते से नहीं जाता है. यह सब सुनकर अजीब लगता है, लेकिन ये आज भी समाज की सच्चाई है.

एनवीरोनिक्स ट्रस्ट ने महिलाओं को साफ एंव स्वच्छ रखने, महिलाओं को रोजगार प्रदान करने, और स्वावलंबी बनाने हेतु एक पहल की, जिसके अंतर्गत, नई दिल्ली नेब सराए में सेनेटरी नैपकिन यूनिट की स्थापना की गई. प्रारम्भ में हमने एक हैंडमेड पैड बनाने की योजना बनाई और इसकी शुरुआत 22 अक्टूबर 2016 को की गई. किसी भी यूनिट को चलाने के लिए कुछ विशेष सामग्री की जरूरत होती है और उस जरूरत को एनवीरोनिक्स ट्रस्ट ने पूरा किया.

सेनेटरी नैपकिन यूनिट में कार्यरत महिलाएं

एनवीरोनिक्स ट्रस्ट की मैडम वनीता जी, भारती जी, और मेरे द्वारा इसकी शुरुआत की गई. मैडम वनीता जी ने हमें हैण्डमेड पैड बनाने का तरीका बतलाया. शुरुआती दिनों में, भारती जी एवं मैंने खुद पैड बनाने का काम किया कुछ परेशानियां हुई पर उन परेशानियां को दूर भी किया गया. कहा जाता है कि कुछ अच्छा करने के लिए हमें मेहनत और परिश्रम दोनों करना चाहिए. पैड बनाने में थोड़ा समय और मेहनत तो लगी पर सही काम भी हुआ. पैड जब बनकर तैयार हो गए, तो इन पैड को कैसे महिलाओ के बीच पहुचाएं, कैसे उनका फीडबैक मिले, इसके लिए हमें लोगों के बीच जाना था, उन तक पहुंचना था.

सबसे पहले तो हमारे ऑफिस में जो लेडीज स्टाफ हैं, उनको ये पैड दिए गए, कुछ हमने खुद भी इस्तेमाल किए. फिर नेब सराय की महिलाओं के बीच पैड पहुंचाने का काम किया ताकि फीडबैक मिल सके. गोंद संबंधी कुछ समस्या आई और बाकी सब ठीक था. जिन महिलाओं ने पैड लिए थे उन्होंने बताया कि ज्यादा चिपक रहा है फिर उस दिक़्क़त का उपाय किया गया. उसके बाद से कोई परेशानी नहीं हुई और पैड सही काम करने लगे.

किसी यूनिट को चलाने के लिए लोगों की जरूरत होती है, इसी तरह सेनेटरी नैपकिन यूनिट को चलाने के लिए भी कम से कम 6 महिलाओ की जरूरत थी.

इसके लिए हम लोगों ने एक पर्चा निकाला जिसमें हमने दो विकल्प दिए गए – एक तो पैसे देकर सीखो और दूसरा पैसे लेकर सीखो. इस तरह पैसे देकर कुछ महिलाएं आगे आईं. उनको एनवीरोनिक्स ट्रस्ट द्वारा दो महीने की ट्रेनिंग दी गई जिसमें उन्हें सिखाया गया कि पैड कैसे बनाया जाता है और वे आज अच्छी तरह से काम कर रही हैं. हमारी यूनिट में 5 महिलाएं हैं – सरोज, दयावती, कमलेश, कुसुम, और शकुंतला. हमारी यूनिट 1 वर्ष से ज्यादा समय से काम कर रही है और इसका परिणाम यह है कि हम पैड बनाने में और बनाये गए पैड को घर-घर तक पहुंचाने में सफल हुए.

शुरु में भारती जी और मैंने नेब सराय की महिलाओं के बीच घर-घर जाकर महिलाओं को जागरूक किया और उन्हें पैड दिए ताकि वे लोग आपस में बात करें और एक दूसरे को इस्तेमाल करने के लिए कहें. बहुत लोगों ने पैड लिए और तारीफ़ की.

हमारी नैपकिन के एक पैकेट में दस पीस होते हैं, जिन्हें हाथ से बनाया जाता है, ये महिलाओं के लिए सस्ता एंव स्वच्छ है जो समाज की हर महिला उपयोग कर सकती है और सबसे बड़ी बात यह है कि ये पैड कम दाम में उपलब्ध हैं.

हम लोगो ने महिलाओ के बीच कुछ सेनिटरी नैपकिन, मुफ्त में नमूने के रूप में भी बांटे और कुछ पैकेट कम पैसे में भी दिए गए. हमारी यूनिट में काम करने जो महिलाएं आती है वे भी घर-घर जाकर लोगो तक पैड पहुंचा रही हैं और उनका मोबाइल नम्बर, नाम आदि भी ले कर आती हैं. कोई पैकेट लेते हैं कुछ नमूने मांगते हैं फिर उन्हें इस्तेमाल कर बताते हैं. कुछ लोग फोन करके मंगवाते हैं तो कुछ घरों में जाकर पूछना पड़ता है. यूनिट में काम करने वाली महिलाएं आज स्वयं कपड़ा काटने से लेकर बेचने तक का काम कर रही हैं . यही नहीं अगर हमे कहीं प्रशिक्षण भी देना हो तो आज ये उसके लिए भी सक्षम हैं. हमारा उद्देश्य है कि ऐसी यूनिट हर गांव-शहर में लगाई जाएं ताकि हर महिला हाथ से बनाई नेपकिन इस्तेमाल कर सके और अपने शारीरिक स्वास्थ्य पर ध्यान दे सके.

पर आज के क्रत्रिम दौर में लोग रेडीमेड उत्पाद खोजते हैं, हाथ से बनाई/बनी हुई चीजों को महत्त्व देना ही नहीं चाहते पर विवेकशील लोग इसका महत्त्व समझते हैं. हमारी पहल द्वारा बनाए गए पैड की बिक्री से पैसों के साथ-साथ, अब लोगों द्वारा पैड की मांग भी आने लगी. आज हमारी यूनिट पूरी तरह स्वावलंबी हो गई है और नेपकिन निर्माण की सामग्री जैसे सिलाई मशीन, सीलिंग मशीन, नॉन-वोवन फैब्रिक, आदि भी स्वयं के स्रोतों से खरीद रही है.

हमारा अगला लक्ष्य है यूनिट में कार्यरत महिलाओं का वेतन खुद के स्रोत द्वारा प्रबंधन. सेनेटरी नैपकिन यूनिट कम जगह और कम पैसे में स्थापित हो जाती है और हमारी निरंतर कोशिश है कि हम और आगे कैसे बढ़ सकते हैं.

एनवीरोनिक्स ट्रस्ट द्वारा सेनेटरी नैपकिन यूनिट की स्थापना से महिलाओं को रोजगार भी मिला और स्वावलंबी बनने की गर्व-मिश्रित खुशी भी. आज यह कोशिश की जा रही है कि हर गांव-शहर में ऐसी कई सेनेटरी नैपकिन यूनिट की स्थापना की जाए ताकि महिलाएं स्वावलंबी हो सकें.

Author – नीतू ठाकुर

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*डांग, स्यूंसाल गांव में बादल फटने से भारी तबाही*
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चौथान समाचार 01 अगस्त 2024 
31 जुलाई 2024 की शाम पांच बजे से आठ बजे तक अतिवृष्टि से चौथान क्षेत्र में जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। गनीमत है की अतिवृष्टि से कोई जन हानि नहीं हुई है परन्तु निजी एवं सार्वजनिक सम्पति को खासा नुकसान हुआ है।  क्षेत्र को थैलीसैण-नागचुला से जोड़ने वाली मुख्य सड़क जग- जगह क्षतिग्रस्त हो गई है जिससे  यातायात पूरी तरह बाधित है। 
इस बीच चौथान पट्टी के डांग और स्यूंसाल गांव में दो जगह बादल फटने से बड़े पैमाने पर नुकसान की सुचना है। देर शाम सात बजे बादल फटने से डांग गांव के दो गदेरों में उफान आ गया और गांव दोनों तरह से बाढ़ से घिर गया। जिससे आधा दर्जन के करीब घरों में मलबा भर गया। एक घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त है और ग्रामीणों को रात को गांव के स्कूल में शरण लेनी पड़ी। बाढ़ से गांव के कई रास्तों, शौचालयों, गोशालाओं को नुकसान की सुचना हैं। 
ग्राम प्रधान दामोदर नेगी के अनुसार बादल फटने से आये सैलाब  में दस के करीब पैदल पुलिया पूरी तरह से बह गई हैं। वहीँ बड़ी संख्या में डांग और किम्वादी गांव के उपजाऊ खेत धान, झुंगरा, कौदा की फसल समेत बाढ़ में बह गए हैं और बड़ी संख्या में खेतों में मलबा भरने से फसल चौपट हो गयी है। 
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वही मूसलाधार बारिश के बीच शाम लगभग साढ़े सात बजे स्यूंसाल के मल्या गदेरे में बादल फट गया। जिससे मुतरखाल से लेकर तैल्या शेरा तक सैकंडों पेड़, खेत फसल समेत बाढ़ में बह गए। अतिवृष्टि से गांव के कई अन्य गेदरों में भीषण उफान से कई जगह भूस्खलन हुआ जिससे बड़े पैमाने में गांव की जमीन, खेत और फसल कटाव और बहने के चलते तबाह हो गए। 
शुरुआती जानकारी अनुसार,  बादल फटने और अतिवृष्टि से आई आपदा में स्यूंसाल गांव की सैकड़ों नाली खेती की जमीन फसल समेत बह गयी है। साथ में गांव के दो बिजली के खम्बे गिर गए हैं, एक पैदल पुलिया भी बाढ़ की चेपट में आने से क्षतिग्रस्त हैं। वहीँ एक पैदल पुलिया और 300 मीटर मीटर से अधिक मोटर मार्ग आपदा में बह गया है।  इसके अलावा गांव में पुश्ते गिरने से तीन घरों पर गिरने का खतरा मंडरा रहा है और एक दर्जन से ज्यादा गौशालाएं, अनेक पैदल रास्ते भी आपदा से बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। 
*आपदा, विभागीय लापरवाही की मार झेल रहे स्यूंसाल के ग्रामीण* 
गौरतलब है कि सितम्बर 2021 में भी स्यूंसाल गांव में बादल फटने से भारी तबाही मची थी। जिससे ग्रामीण दहशत के साये में हैं। पिछली आपदा में हुए नुकसान के लिए प्रभावित ग्रामीणों को प्रशासन की तरह से कोई खास आर्थिक मदद नहीं मिली। दूसरी तरफ, तीन साल से अधिक समय होने के बाद भी लोक निर्माण विभाग ने गांव में बनी नई सड़क पर जलनिकासी, पुलिया, कल्वर्ट निर्माण नहीं किया है। 
नई सड़क बनने के दौरान ठेकेदार ने गांव के गदेरों को मलबे से पूरी तरह पाट दिया था। अब ये मलबा बरसात के दौरान गांव के घरों, खेतों को बार-बार भारी नुकसान पहुंचा रहा है। ग्रामीणों ने कई बार लिखित में इस समस्या के बाबत लोक निर्माण विभाग को अवगत किया है। परन्तु विभाग द्वारा इस दिशा में अभी तक कोई कार्यवाही नहीं  हुई है। जिससे ग्रामीण स्थानीय प्रशासन और लोक निर्माण विभाग की उदासीनता पर खासे नाराज हैं। 
वहीँ अतिवृष्टि से चौथान के डडोली गांव में भी खेतों, फसलों, रास्तों को नुकसान की सुचना है। डडोली गांव में एक पुलिया भी नाले में आई बाढ़ से बह गई है। फ़िलहाल डांग के ग्रामीणों ने सुबह पांच बजे ही थैलीसैंण प्रशासन को आपदा की सुचना दे दी थी। इसके बाद सुबह लगभग दस बजे आपदा विभाग और प्रशासन की संयुक्त टीम किम्वादी होते हुए डाँग गांव पहुंची और बादल फटने से हुए नुकसान का आकलन कर रही है। जैंती दौरे के उपरांत इस टीम के शाम को स्यूंसाल गांव पहुंचने की खबर है।
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#uttrakhandlandslide #uttarakhandfloods #uttarakhanddisaster

चौथान क्षेत्र में अतिवृष्टि से जनजीवन अस्त व्यस्त*
*डांग, स्यूंसाल गांव में बादल फटने से भारी तबाही*
*किंवाड़ी, जैंती, डडोली गांव में खेत, पुल बहे*
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31 जुलाई 2024 की शाम पांच बजे से आठ बजे तक अतिवृष्टि से चौथान क्षेत्र में जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। गनीमत है की अतिवृष्टि से कोई जन हानि नहीं हुई है परन्तु निजी एवं सार्वजनिक सम्पति को खासा नुकसान हुआ है। क्षेत्र को थैलीसैण-नागचुला से जोड़ने वाली मुख्य सड़क जग- जगह क्षतिग्रस्त हो गई है जिससे यातायात पूरी तरह बाधित है।
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ग्राम प्रधान दामोदर नेगी के अनुसार बादल फटने से आये सैलाब में दस के करीब पैदल पुलिया पूरी तरह से बह गई हैं। वहीँ बड़ी संख्या में डांग और किम्वादी गांव के उपजाऊ खेत धान, झुंगरा, कौदा की फसल समेत बाढ़ में बह गए हैं और बड़ी संख्या में खेतों में मलबा भरने से फसल चौपट हो गयी है।
डांग के समीपवर्ती गांव जैंती में भी अतिवृष्टि से घरों, गौशालाओं और खेतों को नुकसान की खबर है। डांग के गदेरों के उफान ने किंवाड़ी गांव होते हुए, निचले इलाकों में भारी तबाही मचाई है। किंवाड़ी निवासी रंजीत सिंह की दो भैसों के भी बाढ़ में बहने की सुचना है। इस बाढ़ से क्षेत्र में प्रसिद्ध सांखेश्वर धाम मंदिर के एक हिस्से को भी क्षतिग्रस्त किया है। मंदिर तक जाने वाली पैदल पुलिया भी बाढ़ में बह गयी है।
*स्यूंसाल में फिर फटा बादल*
वही मूसलाधार बारिश के बीच शाम लगभग साढ़े सात बजे स्यूंसाल के मल्या गदेरे में बादल फट गया। जिससे मुतरखाल से लेकर तैल्या शेरा तक सैकंडों पेड़, खेत फसल समेत बाढ़ में बह गए। अतिवृष्टि से गांव के कई अन्य गेदरों में भीषण उफान से कई जगह भूस्खलन हुआ जिससे बड़े पैमाने में गांव की जमीन, खेत और फसल कटाव और बहने के चलते तबाह हो गए।
शुरुआती जानकारी अनुसार, बादल फटने और अतिवृष्टि से आई आपदा में स्यूंसाल गांव की सैकड़ों नाली खेती की जमीन फसल समेत बह गयी है। साथ में गांव के दो बिजली के खम्बे गिर गए हैं, एक पैदल पुलिया भी बाढ़ की चेपट में आने से क्षतिग्रस्त हैं। वहीँ एक पैदल पुलिया और 300 मीटर मीटर से अधिक मोटर मार्ग आपदा में बह गया है। इसके अलावा गांव में पुश्ते गिरने से तीन घरों पर गिरने का खतरा मंडरा रहा है और एक दर्जन से ज्यादा गौशालाएं, अनेक पैदल रास्ते भी आपदा से बुरी तरह प्रभावित हुई हैं।
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गौरतलब है कि सितम्बर 2021 में भी स्यूंसाल गांव में बादल फटने से भारी तबाही मची थी। जिससे ग्रामीण दहशत के साये में हैं। पिछली आपदा में हुए नुकसान के लिए प्रभावित ग्रामीणों को प्रशासन की तरह से कोई खास आर्थिक मदद नहीं मिली। दूसरी तरफ, तीन साल से अधिक समय होने के बाद भी लोक निर्माण विभाग ने गांव में बनी नई सड़क पर जलनिकासी, पुलिया, कल्वर्ट निर्माण नहीं किया है।
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वहीँ अतिवृष्टि से चौथान के डडोली गांव में भी खेतों, फसलों, रास्तों को नुकसान की सुचना है। डडोली गांव में एक पुलिया भी नाले में आई बाढ़ से बह गई है। फ़िलहाल डांग के ग्रामीणों ने सुबह पांच बजे ही थैलीसैंण प्रशासन को आपदा की सुचना दे दी थी। इसके बाद सुबह लगभग दस बजे आपदा विभाग और प्रशासन की संयुक्त टीम किम्वादी होते हुए डाँग गांव पहुंची और बादल फटने से हुए नुकसान का आकलन कर रही है। जैंती दौरे के उपरांत इस टीम के शाम को स्यूंसाल गांव पहुंचने की खबर है।
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